₹20 हजार में शुरू हो जाएगा Business और 120 दिन में होगी 1.50 लाख तक की Income

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इसबगोल की खेती: कम पानी में बंपर मुनाफा

इसबगोल, जिसे साइक्लोस्पोरम भी कहते हैं, एक खास औषधीय पौधा है। इसकी बालियाँ गेहूँ जैसी दिखती हैं और इसका आकार बाजरे जैसा होता है। यह पौधा ज्यादा पानी सोखने की क्षमता रखता है, इसलिए इसे कम पानी वाले इलाकों में आसानी से उगाया जा सकता है।

इसबगोल के फायदे

अंतरराष्ट्रीय मांग: अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में इसबगोल की भारी मांग है, जिससे किसानों की आय बढ़ सकती है।

स्वास्थ्य लाभ: पाचन में सुधार, कब्ज दूर करने और आंतों के संक्रमण से राहत पाने में मददगार।

पशु चारा: इसबगोल के पौधे का उपयोग पशु चारे के रूप में भी किया जाता है, जो पोषण से भरपूर होता है।

पशुओं के लिए चारे का बढ़िया विकल्प

इसबगोल न केवल इंसानों बल्कि पशुओं के लिए भी फायदेमंद है। इसके पौधे में भरपूर पोषण होता है, जिससे पशुओं की सेहत में सुधार आता है। इस तरह, इसबगोल की खेती से मेरी आय भी बढ़ती है और पशुओं का चारा भी मिल जाता है।

आर्थिक मुनाफा

इसबगोल की खेती का खर्च लगभग ₹10,800 प्रति हेक्टेयर आता है। अगर सही तकनीक से खेती की जाए तो बाजार में बेचकर लगभग ₹1,76,600 प्रति हेक्टेयर की कमाई हो सकती है। इस हिसाब से, इसबगोल की खेती मेरे लिए एक आकर्षक बिजनेस हो सकता है।

इसबगोल की खेती पर खर्च और मुनाफा

विवरणलागत (₹)अनुमानित मुनाफा (₹)
प्रति हेक्टेयर खर्च10,800
प्रति हेक्टेयर आय1,76,600
1 हेक्टेयर से बीज उत्पादन15 क्विंटल
प्रति क्विंटल बीज मूल्य12,500
कुल मुनाफा1,90,000 तक

अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग

डॉ. अंगमुथु (APEDA के चेयरमैन) के अनुसार, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों में इसबगोल की भारी मांग है। इस मांग को बढ़ाने के लिए APEDA ने दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर और अन्य संस्थानों के साथ मिलकर इसबगोल की खेती के नए तरीके विकसित करने पर काम किया है।

उत्पादन के क्षेत्र

भारत में इसबगोल की खेती लगभग 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है, जो मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में फैली हुई है। मध्य प्रदेश के नीमच, रतलाम, मंदसौर, उज्जैन और शाजापुर जिलों में इस फसल का प्रमुख उत्पादन होता है।

किस्में और खेती का तरीका

भारत में इसबगोल की तीन प्रमुख किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें से हरियाणा-2 किस्म 90 से 115 दिनों में तैयार हो जाती है। फसल कटने के बाद बीज अलग किए जाते हैं और बाज़ार में बेचे जाते हैं। एक हेक्टेयर में करीब 15 क्विंटल बीज मिलता है और इसका बाज़ार मूल्य इस समय ₹12,500 प्रति क्विंटल है। इससे मुझे ₹1,90,000 तक की कमाई हो सकती है, और सर्दियों में इसका मूल्य और भी बढ़ जाता है।

मुख्य किस्में और उनकी तैयारी का समय

किस्मेंतैयारी का समय (दिनों में)
हरियाणा-290 से 115
अन्य किस्मेंलगभग समान

बुआई का सही समय और तरीका

बुआई का सही समय जानना भी जरूरी है। इसबगोल को अक्टूबर से नवंबर के बीच बोना चाहिए। इसे पंक्तियों में बोया जाता है, जिसमें दो पंक्तियों के बीच 25-30 सेमी का अंतर होना चाहिए। बीज बोने से पहले 3 ग्राम थिरम प्रति किलोग्राम बीज में मिलाने से पौधों की सेहत अच्छी रहती है।

खेती को अधिक सफल बनाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों से सलाह ली जा सकती है। सही तकनीक और जानकारी से इसबगोल की खेती एक मुनाफेदार बिजनेस बन सकती है।

FAQ – सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न

  1. इसबगोल की खेती कैसे शुरू करें?

    सही समय: अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे उचित होता है।
    बीज बोने की दूरी: दो पंक्तियों के बीच 25-30 सेमी का अंतर रखें।
    थिरम का उपयोग: बीजों में 3 ग्राम थिरम मिलाने से पौधों की सेहत अच्छी रहती है।
    उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र: गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश।

  2. इसबगोल की खेती के लाभ और विशेषताएं

    कम पानी में उपज: इसबगोल कम पानी में भी अच्छी उपज देता है, जिससे यह सूखे वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है।
    उच्च मांग और कीमत: सर्दियों में इसकी मांग बढ़ने से इसकी कीमत में इजाफा होता है।
    सेहत और पोषण: इसके पौधे का उपयोग स्वास्थ्य सुधार और पोषण के लिए होता है, जिससे बाजार में इसकी स्थिर मांग रहती है।

निष्कर्ष

इसबगोल की खेती कम निवेश के साथ एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकती है। ₹20,000 के निवेश से शुरू करके सिर्फ 120 दिनों में लाखों की कमाई संभव है। सही जानकारी और खेती के नए तरीकों से इसबगोल की खेती को और भी लाभदायक बनाया जा सकता है। अधिक जानकारी और विश्वसनीय बिजनेस आइडियाज़ के लिए आप getrichslowly.in पर भी जा सकते हैं, जहाँ व्यवसाय और कमाई के बारे में बेहतरीन सुझाव मिलते हैं।

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